अब कोई भी देशी स्टोर न शक्तिभोग आटा रखता है न नेचरफ्रेश।
2.
यह हम ही तो आपस में अपनी जमात को आइडेनटिफाइ करने के लिए इस्तेमाल करते हैं-जैसे देशी स्टोर, देशी गाने आदि.
3.
अब अगर बड़े देशी स्टोर तिजोरियां भर रहे हैं तो फिर विदेशियों से उनकी प्रतिस्पर्धा कराने में हिचक क्यों... कम्पीटिशन बढ़े और कीमतें गिरें... कुछ तो भला हो अपना...